ISRO का गगनयान मिशन: इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी, भारत के लिए क्यों है खास?

ISRO का गगनयान मिशन: इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी, भारत के लिए क्यों है खास?

अपना ISRO (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइज़ेशन) कमाल पे कमाल कर रहा है! चांद और मंगल पर तो हम पहुँच ही गए, अब ISRO एक और बड़े मिशन की तैयारी में लगा है – जिसका नाम है ‘गगनयान’। ये भारत का पहला ऐसा मिशन है जिसमें इंसानों को स्पेस में भेजा जाएगा। प्लान ये है कि अपने देश के अंतरिक्ष यात्रियों (एस्ट्रोनॉट्स) को धरती के पास वाले ऑर्बिट में भेजेंगे और फिर सही-सलामत वापस भी लाएंगे। ये मिशन सिर्फ हमारी टेक्नोलॉजी की ताकत ही नहीं दिखाएगा, बल्कि साइंस, पैसे और देश की सुरक्षा के हिसाब से भी ये भारत के लिए बहुत ज़रूरी है। चलो, इस ब्लॉग में आसान भाषा में समझते हैं कि गगनयान मिशन की तैयारी कैसी चल रही है, इसका मकसद क्या है और ये अपने देश के लिए इतना खास क्यों है।

आखिर ये ‘गगनयान’ मिशन है क्या चीज़?

गगनयान मिशन पूरी तरह से अपने देश में ही बन रहा है, मतलब सब कुछ ‘मेड इन इंडिया’ है। इसमें होगा ये कि 3 इंडियन एस्ट्रोनॉट्स का ग्रुप धरती से करीब 400 किलोमीटर ऊपर, धरती के निचले ऑर्बिट (Low Earth Orbit) में 5 से 7 दिन बिताएगा। एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस में भेजने के लिए ISRO अपना सबसे तगड़ा रॉकेट इस्तेमाल करेगा – GSLV Mk III (जिसे अब LVM3 भी कहते हैं)। एस्ट्रोनॉट्स के लिए एक खास कैप्सूल (गाड़ी जैसा समझ लो) बनाया गया है, जिसमें उनके रहने और सांस लेने का पूरा इंतज़ाम होगा और वापसी के लिए पैराशूट भी लगे होंगे।

तैयारी कहाँ तक पहुँची? क्या-क्या कर रहा है ISRO?

इंसानों को स्पेस में भेजना कोई बच्चों का खेल नहीं है! इसके लिए ज़बरदस्त तैयारी और बहुत सारी मुश्किल टेक्नोलॉजी को टेस्ट करना पड़ता है। ISRO इस काम में दिन-रात लगा हुआ है:

  • एस्ट्रोनॉट्स का घर (कैप्सूल): जिस कैप्सूल में एस्ट्रोनॉट्स रहेंगे और काम करेंगे, उसे बनाने और टेस्ट करने का काम चल रहा है। इसके साथ एक सर्विस मॉड्यूल भी होगा जिसमें फ्यूल और दूसरी ज़रूरी चीज़ें होंगी। इसके कई टेस्ट पास हो चुके हैं।
  • रॉकेट को इंसानों के लिए सेफ बनाना: LVM3 रॉकेट वैसे तो भरोसेमंद है, पर इंसानों को ले जाने के लिए उसे और भी ज़्यादा सेफ बनाया जा रहा है। मतलब, अगर कोई गड़बड़ हो तो एस्ट्रोनॉट्स बच सकें, इसका पूरा इंतज़ाम किया जा रहा है, जैसे इमरजेंसी एग्जिट सिस्टम।
  • इमरजेंसी एग्जिट सिस्टम का टेस्ट: अगर लॉन्च के टाइम कोई दिक्कत आ जाए, तो एस्ट्रोनॉट्स को रॉकेट से फौरन दूर कैसे ले जाना है, इसके लिए एक ‘क्रू एस्केप सिस्टम’ है। ISRO ने इसके कई ज़रूरी टेस्ट कर लिए हैं।
  • एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग: इंडियन एयर फ़ोर्स के पायलट चुने गए हैं जिन्हें रूस और भारत में कड़ी ट्रेनिंग दी जा रही है। इसमें कसरत, कंप्यूटर पर नकली उड़ान भरना और साइंस के एक्सपेरिमेंट करना शामिल है।
  • बिना इंसान के उड़ानें: असली एस्ट्रोनॉट्स को भेजने से पहले, ISRO इसी तरह के कम से कम दो मिशन बिना इंसानों के भेजेगा। इससे ये पक्का हो जाएगा कि सारी मशीनें, खासकर जान बचाने वाले सिस्टम और वापसी का तरीका ठीक से काम कर रहा है या नहीं। ऐसी पहली उड़ान जल्दी ही हो सकती है।

गगनयान मिशन भारत के लिए इतना ज़रूरी क्यों है?

गगनयान मिशन अपने देश के लिए कई वजहों से बहुत खास है:

  • साइंस में तरक्की: इस मिशन से हमें स्पेस में (जहाँ चीज़ें उड़ती हैं) बहुत सारे साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट करने का मौका मिलेगा। इससे साइंस और टेक्नोलॉजी में नई-नई बातें पता चलेंगी।
  • टेक्नोलॉजी में खुद पर निर्भर होना: जब भारत खुद इंसानों को स्पेस में भेज पाएगा, तो हम दुनिया के कुछ खास देशों (जैसे अमेरिका, रूस, चीन) की लिस्ट में आ जाएँगे। स्पेस की मुश्किल टेक्नोलॉजी में हम आत्मनिर्भर बन जाएँगे।
  • देश का नाम रोशन होना और जोश बढ़ना: ये मिशन पूरे देश के लिए गर्व की बात होगी। इससे अपने देश के नौजवानों को साइंस और टेक्नोलॉजी में कुछ करने का जोश मिलेगा।
  • दूसरे देशों के साथ मिलकर काम करना: गगनयान की वजह से हो सकता है कि भविष्य में भारत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जैसे बड़े स्पेस प्रोग्राम में दूसरे देशों के साथ मिलकर काम करे।
  • पैसे और नौकरी के मौके: इस मिशन के लिए जो नई टेक्नोलॉजी बनेगी, उसका इस्तेमाल दूसरी चीज़ों में भी हो सकता है (जैसे दवा बनाने में, नए मटीरियल बनाने में)। इससे देश में नए बिजनेस और नौकरियां पैदा हो सकती हैं।

मुश्किलें और आगे का रास्ता

इंसानों को स्पेस भेजना बहुत मुश्किल और रिस्की काम है। ISRO को ये पक्का करना होगा कि टेक्नोलॉजी भरोसेमंद हो, एस्ट्रोनॉट्स पूरी तरह सेफ रहें और मिशन पर ज़्यादा खर्चा भी न आए। लेकिन ISRO ने पहले भी बड़े काम किए हैं और हमारे साइंटिस्ट बहुत काबिल हैं, इसलिए उम्मीद है कि ये मिशन कामयाब होगा।

गगनयान की कामयाबी भारत के स्पेस प्रोग्राम के लिए एक नई शुरुआत होगी। इसके बाद हो सकता है हम चांद पर इंसान भेजें, अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाएं या और भी दूर के ग्रहों की खोज करें।

आखिरी बात: स्पेस में भारत का बढ़ता दबदबा

गगनयान मिशन सिर्फ स्पेस में जाने का मिशन नहीं है, ये दिखाता है कि भारत साइंस और टेक्नोलॉजी में कितना आगे बढ़ रहा है और दुनिया में अपना नाम बना रहा है। ISRO की टीम की मेहनत और पूरे देश के साथ से, भारत जल्द ही उन देशों में शामिल हो जाएगा जो इंसानों को स्पेस में भेज सकते हैं। ये मिशन न सिर्फ स्पेस में भारत को एक बड़ा खिलाड़ी बनाएगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को आसमान छूने के सपने भी दिखाएगा।

Leave a Comment